आज फिर .........माँ की याद आई |
मेरेजन्मदिन पर जो लेती थी बलाई ||
लगाती थी टीका काला आंख से काजल निकाल के|
करती थी तिलक आरती उतार के ||
बनाती थी सुबेरे से खीर मिठाई |
मनाने को मेरा जन्मदिन उस दिन भाई ||
देश गांधी जयंती मनाने में लीन रहता था |
मेरे घर पर तो खीर पूरी खा कर
बधाई देने वालो का जमघट लगा रहता था||
आज तो सिर्फ यादें बाकि रह गयी |
ना माँ रही ना देश में वोह गाँधी जयति भी रही||
सिर्फ बापू की याद आती है |
माँ स्वर्ग से बलियां लेती है||
मित्रो, अब तो सिर्फ तम्हारा सहारा है|
बधाई दो या ना दो आज जन्मदिन
बापू और शास्त्री का प्यारा है||
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