मुकम्मल है इबादत मै
वतन इमान रखता हूँ
वतन की शान की खातिर
हथेली जान रखता हूँ
क्यों पढ़ते हो मेरी
आँखों में पाकिस्तान का नक्शा
मुसलमान
हूँ मै सच्चा दिल में हिन्दुस्तान रखता हूँ
कौन पढता है तुम्हारी आखो मे पाकिस्तान का नक्शा |
कोन नकारता है तुमहारी वतन परस्ती का जज्बा||
कोन नकारता है तुमहारी वतन परस्ती का जज्बा||
क्या तुम सरहद पर हिफाजत ए वतन को नही गये |
या इस मुल्क के कायदेआजम या
चीफ जस्टिस नही रहे||
तुम ही बताओ तुम्हे कोन सा अख्तियार नही |
क्या पढनेलिखने,तिजारत,खानेपहिनने,आनेजाने मे है, फर्क कहीं||
क्या पढनेलिखने,तिजारत,खानेपहिनने,आनेजाने मे है, फर्क कहीं||
हम तो कहते कहते थक गये , हिन्दू
मुस्लिम भाई भाई |
फिर भी तुम्हे ६८ वर्षों में यकीं क्यों नही आई||
इतनी आजादी तो नही किसी को पाकिस्तान मे|
इतना अमन,चैन महोब्बत नही देखा अरबिस्तान मे ||
इतना अमन,चैन महोब्बत नही देखा अरबिस्तान मे ||
औरत मर्द का यकीनी रिश्ता ऐसा नही मिलेगा इंगलिशतान मे
|
तुम चश्मेनूर हो सिरमौर हो, बगलगीर हो
हिन्दुस्तान में||
आज हिन्दुस्तान जो वतन है तुम्हारा,तुम्हे
पुकार रहा है |
वतन का कानुन तुम पर भी लाजिम है,करोअमल बता रहा है ||
वतन का कानुन तुम पर भी लाजिम है,करोअमल बता रहा है ||
मानो इसे शरियत के मानिंद और इज्ज़त करो हमारी |
मत काटो गाय यह है मादरेवतन बच्चों की पालक पयारी||
इकबाल लिखगये,आज फिर मिल कर गाएँ
वोही गाना|
वतनपरस्ती, भाईचारे की दास्ताँ है यह तराना||
सारे जहान से अच्छा हिंदुस्तान हमारा|
हम बुलबुल हैं इसके यह
गुलिस्तान हमारा||
मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना|
हिंदी है, हमवतनहै, हिन्दुस्तान
हमारा||
कुछ सिरफिरे हर कौम में होते है |
हर शहर में हर देश हर कोने में होते है ||
उनका काम होता है नफरत ग़लतफ़हमी फैलाना |
तुम समझदार हो या नहीं जो इन्हें नहीं पहिचाना ||
नहीं चाहते ये कौमी अमन, एकता भाईचारा|
वजह, इनकी रोटी, सियासत का यह नफरत ही सहारा||
यह मजहब के ठेकेदार, सियासतदार जो नफरत ही बांटते |
हिन्दू को सिख,मुसलमान और इसाई से अलग मानते||