जिस धरती से राम ने रावन को ललकारा था
जिस रामेश्वरम के कोने से सागर को फटकारा था
उस धरती पर एक अवतार ने जन्म लिया
जाती भेद को मिटा कर देश प्रेम में जिया
गुदड़ी का लाल हम सुनते थे
तुमने इस कथनी को सच्च किया
एक अजातशत्रु सतयुग में शायद हुआ था
कैसा था क्या करता था किसी को नही पता था
एक अजातशत्रु ने कलियुग में जन्म लिया
इस राजनीति के दलदल में कमल की तरह जिया
अखबार बांटने से बचपन को जिया
जीवन की दौड़ में ना जाने कितना जहर पिया
तरक्की करता गया, आगे बढ़ता गया
सागर नापता गया, आसमान छूता गया
विश्व के विज्ञानिकों में देश को अमर करता गया
आसमान को चीरती अग्नि को रचता गया
जब सवाल आया पोखरण का तो कलाम का कमाँल देखा
दुनिया देखती रही गयी जब भारत का एटम फटा
इस से पहले १० आ चुके थे
राजिंदर जी,
राधा कृष्णन जी,
जाकिर, जी,
वेकट जी,
फकरू जी,
गिरी जी
शर्मा जी
इतहास में अपना नाम लिखा चुके थे
सभी का देश की राजनीती में अद्भूत स्थान था
देश की आज़ादी में भी योगदान था
यह तो प्रभु की विशेष रचना एक इंसान निराला था
विज्ञानिक था, खोजी था, विचारक था, मतवाला था
ना कांग्रेसी था ना संघी था , ना लाल था ना नीला था
ना हरा था लेकिन वोह तो माँ का लाल एकदम खरा था
बच्चो की तरह निश्चल वोह तो हर अज़ीज़ था
बच्चो के बीच में बच्चा - क्या चीज़ था?
गुरु था, पढ़ने और पढ़ाने का उसे शौक था
भारत का भाग्य विधाता अन्दर से राह ए सौध था
देश कैसा हो २०२० में ऐसा सोच दे गया
कुरसी का प्यारा ना था वोह उतरते ही अपने काम में जूट गया
देश का कोना कोना उसके ध्यान में था
तकनीक हो, चिकित्सा हो, शहर हो, ग्राम हो
खेत हो, खलियान हो
हर विषय उसके कलाम में था
चलते चलते गुरु पूर्णिमा आ गयी
इस गुरों के गुरु की अल्लाह को भी जरुरत आ गयी
देश को झंझोर गया, हर दिल अज़ीज़, हर दिल को तोड़ गया
अपनी लेखनी, अपनी यादें,
अपने कलाम अपना संगीत,
अपना सपना सच्चा करने को हमे सोंप गया
जहाँ से आया था उस ही भोले बाबा की गौद में पहुँच गया
गुरु पुन्नो की दिन ,,,,,,
यह धरती का लाल धरती की गौद में सो गया
कलाम को सलाम .....सलाम ....सलाम
जिस रामेश्वरम के कोने से सागर को फटकारा था
उस धरती पर एक अवतार ने जन्म लिया
जाती भेद को मिटा कर देश प्रेम में जिया
गुदड़ी का लाल हम सुनते थे
तुमने इस कथनी को सच्च किया
एक अजातशत्रु सतयुग में शायद हुआ था
कैसा था क्या करता था किसी को नही पता था
एक अजातशत्रु ने कलियुग में जन्म लिया
इस राजनीति के दलदल में कमल की तरह जिया
अखबार बांटने से बचपन को जिया
जीवन की दौड़ में ना जाने कितना जहर पिया
तरक्की करता गया, आगे बढ़ता गया
सागर नापता गया, आसमान छूता गया
विश्व के विज्ञानिकों में देश को अमर करता गया
आसमान को चीरती अग्नि को रचता गया
जब सवाल आया पोखरण का तो कलाम का कमाँल देखा
दुनिया देखती रही गयी जब भारत का एटम फटा
इस से पहले १० आ चुके थे
राजिंदर जी,
राधा कृष्णन जी,
जाकिर, जी,
वेकट जी,
फकरू जी,
गिरी जी
शर्मा जी
इतहास में अपना नाम लिखा चुके थे
सभी का देश की राजनीती में अद्भूत स्थान था
देश की आज़ादी में भी योगदान था
यह तो प्रभु की विशेष रचना एक इंसान निराला था
विज्ञानिक था, खोजी था, विचारक था, मतवाला था
ना कांग्रेसी था ना संघी था , ना लाल था ना नीला था
ना हरा था लेकिन वोह तो माँ का लाल एकदम खरा था
बच्चो की तरह निश्चल वोह तो हर अज़ीज़ था
बच्चो के बीच में बच्चा - क्या चीज़ था?
गुरु था, पढ़ने और पढ़ाने का उसे शौक था
भारत का भाग्य विधाता अन्दर से राह ए सौध था
देश कैसा हो २०२० में ऐसा सोच दे गया
कुरसी का प्यारा ना था वोह उतरते ही अपने काम में जूट गया
देश का कोना कोना उसके ध्यान में था
तकनीक हो, चिकित्सा हो, शहर हो, ग्राम हो
खेत हो, खलियान हो
हर विषय उसके कलाम में था
चलते चलते गुरु पूर्णिमा आ गयी
इस गुरों के गुरु की अल्लाह को भी जरुरत आ गयी
देश को झंझोर गया, हर दिल अज़ीज़, हर दिल को तोड़ गया
अपनी लेखनी, अपनी यादें,
अपने कलाम अपना संगीत,
अपना सपना सच्चा करने को हमे सोंप गया
जहाँ से आया था उस ही भोले बाबा की गौद में पहुँच गया
गुरु पुन्नो की दिन ,,,,,,
यह धरती का लाल धरती की गौद में सो गया
कलाम को सलाम .....सलाम ....सलाम
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