Tuesday, July 28, 2015

कलाम तुझे सलाम

जिस धरती से राम ने रावन को ललकारा था
जिस रामेश्वरम के कोने से सागर को फटकारा था

उस धरती पर एक अवतार ने जन्म लिया
जाती भेद को मिटा कर  देश प्रेम में जिया

गुदड़ी का लाल हम सुनते थे
तुमने इस कथनी को सच्च किया

एक अजातशत्रु सतयुग में शायद हुआ था
कैसा था क्या करता था किसी को नही पता था

एक अजातशत्रु ने कलियुग में जन्म लिया
इस राजनीति के दलदल में कमल की तरह जिया

अखबार बांटने से बचपन को जिया
जीवन की दौड़ में ना जाने कितना जहर पिया

तरक्की करता गया, आगे बढ़ता गया
सागर नापता गया, आसमान छूता गया

विश्व के विज्ञानिकों में देश को अमर करता गया
आसमान को चीरती अग्नि को रचता गया

जब सवाल आया पोखरण का तो कलाम का कमाँल देखा
दुनिया देखती रही गयी जब भारत का एटम फटा

इस से पहले १० आ चुके थे

राजिंदर जी,
राधा कृष्णन जी,
जाकिर, जी,
वेकट जी,
फकरू जी,
गिरी जी
शर्मा जी
इतहास में अपना नाम लिखा चुके थे

सभी का देश की राजनीती में अद्भूत स्थान था
देश की आज़ादी में भी योगदान था

यह तो प्रभु की विशेष रचना एक इंसान निराला था
विज्ञानिक था, खोजी था, विचारक था, मतवाला था

ना कांग्रेसी था ना संघी था , ना लाल था ना नीला था
ना हरा था लेकिन वोह तो माँ का लाल एकदम खरा था

बच्चो की तरह निश्चल वोह तो हर अज़ीज़ था
बच्चो के बीच में बच्चा - क्या चीज़ था?

गुरु था, पढ़ने और पढ़ाने का उसे शौक था
भारत का भाग्य विधाता अन्दर से राह ए सौध था

देश कैसा हो २०२० में ऐसा सोच दे गया
कुरसी का प्यारा ना था वोह उतरते ही अपने काम में जूट गया

देश का कोना कोना उसके ध्यान में था

तकनीक हो, चिकित्सा हो, शहर हो, ग्राम हो
खेत हो, खलियान हो
हर विषय उसके कलाम में था

चलते चलते गुरु पूर्णिमा आ गयी
इस गुरों के गुरु की अल्लाह को भी जरुरत आ गयी

देश को झंझोर गया, हर दिल अज़ीज़, हर दिल को तोड़ गया
अपनी लेखनी, अपनी यादें,
अपने कलाम अपना संगीत,
अपना सपना सच्चा करने को हमे सोंप गया

जहाँ से आया था उस ही भोले बाबा की गौद में पहुँच गया
गुरु पुन्नो की दिन ,,,,,,
यह धरती का लाल धरती की गौद  में सो गया

कलाम को सलाम .....सलाम ....सलाम




 

गुरुदासपुर के वीरो का जवाब


आज सरहद पार से फिर किसी ने पुकारा है ।
आतंकवाद के साये में धूर्त जलते पडोसी ने ललकारा है ॥
पूरा भारत घूम, सिमी-मुजाहिद्दीन, फिर धमका गया ।
गुरुदासपुर के सपूतों ने इस चुनौती को स्वीकारा किया ॥
आतंक के सौदागरों को चेतावनी का संदेश भिजवाया है ।
बम फोड ले, सडक खोल ले, हिंद-कश्मीर हमारा है ॥
६० साल से जालिम तुने मासूमों पर कहर बरपाया है ।
हम ने मुहतोड़ जवाब दिया और हर जगह तुझे हराया है ॥
खेमकरण और कारगिल के संग्राम की पिटाई तू क्या भूल गया ।
जम्मू हो या सूरत, हैदराबाद हो या बनारस, चाहे संसद, तेरी मौत भूल गया ॥
शायद खावायिश लालकिले पे चाय पीने की अभी भुला नहीं तू ।
शास्त्री के जय जवान की मार को आज भी याद कर तू ॥
राम कृष्ण गौतम गाँधी तिलक जवाहर के हम वंशज हैं जानले ।
सर पे कफ़न माथे पे तिलक, कमर कसे है हिंदकी सेना मानले ॥
हमने विश्व को मानवता का सन्देश दिया ।
पंचशील और सद्भावना को माना और जिया ॥
मजहबों से परे जा हर कौम को आदर दिया ।
इस देश में हर मजहब ने प्यार अमन को जिया ॥
हमने विश्व से आतंक ख़त्म करने का अहद लिया ।
बंगबंधुओं से, अफगानों से, पूछ हमने क्या क्या नहीं किया ॥
हमें लाहौर शांती की रेल भेजना आता है ।
तू छुरा घोंपे तो कारगिल भी करना आता है ॥
मुल्क में जमुरियत फिर से दस्तक दे रही है ।
बेनजीर को लुटा के इंसानियत भी रो रही है ॥
सात समुन्द्र दूर बैठा तेरा आका आज तुझे जान गया ।
हम कुछ भी ना करें दुनिया का थानेदार तो डंडा तान चुका ॥
कुरान-हदीस के पाक फतवों को भुला तू कुफ्र की वकालत कर रहा है ।
अपनों को भड़का के तू उन्हें क्यों नापाक नाकाम बदनाम कर रहा है ॥
दुनिया कहाँ से कहाँ तरक्की कर गयी तू भी इसे जान ले ।
झूट बोलना आतंक बोना- लाशे काटना गलत है मान ले ॥
रमजान के पाक महिने में सिजदाकिया तूनेअब कुफ्र से तौबा मांग ले ।
छोड़ दे यह ओछी हरकते विनाश की,तरक्की की डगर थाम ले ॥
मत ले इम्तहान नहीं तो तू पछतायेगा ।
कसम से हम उठ गए तो कौन बचायेगा ॥
भारत वासियों मत घबराना सब तुम्हारे साथ है ।
हम एकता, सावधानी, कठोरता, निरभ्यता, सद्भाव है ॥
हिम्मत रखना मत घबराना आतंकियों को सबक सिखाना है ।
जनगनमन, सत्यमेवजयते और वन्देमातरम गाना है ॥