Sunday, July 20, 2008

मौला.............

मौला बोला बचाले मुझे
इस मतलबी दुनिया से उठाले मुझे

तुने कायनात बनायीं थी
खुबसुरत बगिया लगायी थी

आदम और हौवा बनाये थे
पीर पैगम्बर भिजाये थे

नेकी पर चलना सिखाया था
जकात रहम इबादत पे चलना सिखाया था

आज खुदा की खुदाई हैवान हो गयी
इंसानियत लालच में नीलाम होगई

इंसान खुद खुदा बन गया
उपर वाले पे से भरोसा उठ गया

अल्लाह की दर इराक टूट गया
अमरीका परस्ती में पाक नापाक हो गया

इंसानियत का हस्र इतना की दिल भर गया
मोला भी शायद अटम से डर गया

जमी को जन्नत बनाने का ख्वाब धूल में मिल गया
मौला तू ही संभालेगा

इस कायनात को शैतानो के कब्जे से निकलेगा
या खुद भी जायेगा और हमें भी बुला लेगा

Saturday, July 19, 2008

चुनाव का बकरा...............

देखो फिर ईद गयी
बकरे की मुसीबत गयी
अरे नहीं बकरे की तो किस्मत संवर गयी

सौदागर ने फरमान किया
ईद मनाने का ऐलान किया
खरीदी का दाम दिया

कल तक जो बकरा मण्डी के ख्वाब थे देखते
आज हम उन्हें मण्डी के तिजारती देखते

काश्मीर से कन्याकुमारी
मुंबई से बंगाल की खाडी

हर बकरे का अलग निसान है
उसके मालिक की अलग दुकान है

कुछ बकरे खुले घूम रहे है
चुंगी वाले जाल डाल उन्हें ताक रहे हैं

कुछ बकरे मिमिया रहे हैं
मंत्री बनाओ चिल्ला रहे हैं

कुछ लाल कुछ हरे नीले, कुछ केसरिया बाड़े में घुस चुके है
कुछ हाथ के इशारे पे, सजे संवरे खड़े हैं

तीन दिन है बाकी सौदागर को ईद मनाने को
बकरों की तो मौज होगई, ईद को चला जाने दो

यारों ईद के बाद क्याहोगा ?
सौदागर तो खुश, देश का सत्यानास होगा

हाथ जीत गया तो भी हारेगा
लाल का कया बिगडेगा वोह तो चीन पधारेगा

हाँ- कुछ बकरे मोटे हो जायेंगे
कुछ मंत्री कुछ संत्री बन जायेंगे

इसी लिए कहता हूँ ईद गयी .........
बकरों की तो मौज आगयी

माशूक और बीबी में फर्क

वो भी दिन थे की हमीं आयें हरेक बात में याद
आज हर बात में कह्ते हैं की हम भूल गए
बड़े भोले है, बड़े ढूध के धोये हैं आज
पी के जब प्यार में बहके थे कदम भूल गए
हमसे कांटे भी निकलवाये थे तलवों से कभी
आ के मंजिल पे सभी राह के ग़म भूल गए
अब तो कह्ते हो की भाते ही नही हमको "गुलाब"
आपके दिल् को कभी था ये वहम भूल गए

कल तक हम तुम्हारे आशिक थे आज खाविंद होते है
कल तक पसीना था गुलाब आज रोटी कपडा और मकान को रोते हैं

तुम आज भी दिल के पास हो दुनियादारी में फंसे तुम्हे खोते हैं
ड़र से तुम्हारे जानबूझ कर अनजान बन भूलना कबूल लेते हैं

हमारी वफादारी की कसम हर आशिक खाता है
अहद निभाने को इश्क अंजाम तक लाने को दूध नहीं
गंगाजल से धुले रोज तुम्हारी आंखों में खोते है

हम अकेले गुनहगार नहीं इस खुशनुमा अंजाम के
उस वक्त कदम दोनो के बहके थे नतीजे में संग होते हैं

याद है हमें तलवा और कांटे
जो लगे थे तुम्हे रिझाने को फूल लाते
याद है तुम्हारा उन फूलों का कबूल करना

और हमारे दर्द को सहलाना और सिसकना
कसम तुम्हारी याद है की

तुम्हे फूलों से नही हम से प्यार है

तुम गुलाब, हम कांटे, इश्क हवा हुआ,
आओ मिल दुनिया के दर्द बांटे

सात जन्मो के साथ की कसम को पूरी करने के खातिर

बनाया है नया आशियाना "हुजुर" तुम्हारे खातिर

कल तक हम तुम्हारे आशिक थे आज खाविंद होते है
कल तक पसीना था गुलाब आज रोटी कपडा और मकान को रोते हैं

लोग कहते हैं वो मुझसे मुझ्तालिफ सा है
मगर वोह जानते नहीं
मैं उस से रूठ जाऊं तोह..
वोह मुझसे रूठ जाता है ..


गलत ख्याल दिल को दुखा देता है
खोफ्नाक सपना नींद उडा देता है
तुम रूठी तो मनाने को कया कोई ताऊ आते है

फिल्म दिखाते, चाट खिलाते हम ही तो मनाते हैं

अगर वोह पूछ लें हम से की तुम्हे
किस बात का गम हे?
तो फीर................
किस बात का गम हें? ॥

गम था तो बस एक ही गम था
जहाँ किस्ती डूबी वहां पानी बहुत कम था ।


जो आँखों की जबान नहीं पढ़ते
उन्हें इश्क का हक नही ।
जो बातबात पर रुठते हैं उन्हें ,

हमारे
दिल टूटने का इल्म नही ॥

वो मुझे याद तोः करता है मगर यूँही जैसे
घर का दरवाज़ा किसी रात खुला रह
जाए॥

हमारे घर के दरवाजे तो कभी के उखड गए
तुम कब आओगी सोच सोच अरमान भड़क गए

आओगी तुम तो सितारों की छाँव होगी
चाँद रास्ता दिखायेगा गली सुनसान होगी

चौखट पर हम खड़े होंगे पलकों में छिपाने को
नज़रे उतार ले बलियां लोगो की नजरों से छिपाने को

Sunday, July 13, 2008

देश का हाल

पंच बुला कर करो फ़ैसला
भाई और साले में

दांये बाएं में हो गयी जंग
बीती रात शिवाले में

प्यास लगी नींद भगी
कमल घूम रहा ख्यालों में

भोले बोले पंच बुलाओ
जनता तो गयी हिमाले पे

गलती किसकी इच्छा उसकी
भंग चढ़ गयी माथे पे

हर घर का हाल यही है
पंच गये दिवाले में

बुश को मानने सरकार हिली
वाम रूठा खडा विराने में

टुकुर टुकुर देख रहे घरवाले
आज इस ज़माने में

घर की आग में हाथ सेक रहे
ऐरे गेरे नथू खेरे बैठे मैखाने में

बेडा गर्क हो रहा देश का
फ़िक्र किसे करो फैसला चो्डे चोक उजाले में

छोरा गंगा किनारे वाला

बांकी चितवन आँखे नशे का प्याला
सुप्रभात बोल चहक रहा

मीठी वाणी बोल रहा
दिल के अन्दर डोल रहा

जनबल धनबल बहुबल तोल रहा
लोकतंत्र की बातें बोल रहा

सूरज की तरह प्रखर
भविष्य उसका उज्जवल
पहली किरण की तरह निर्मल

ऐसे दोस्त को आदाब नमस्ते और सलाम
आज रविवार करो आराम

मजनू, फरहाद महिवाल

बेपरवाही से जीने का मजा कुछ और ही आता है
आँख बंद कर प्यार करने को ही इश्क कहा जाता है

जलने वालों ने बख्शा नहीं मजनू फरहाद महिवाल को
फन्हा होने तक मजबूर किया इश्क के दिवानो को

परवाह अगर करते तो मिसाल ए इश्क कहाँ बनते
आज तुम हम है और हम भी परवाह नहीं करते

कल रात तो सितम की रात थी
तुम उधर सोच में डूबे थे तो इधर भी येही बात थी

याद करते तुम्हारी और जालिम ज़माने को कोसते थे
कसम खुद ए इश्क की हम भी येही सोचते थे

तुम जब सामने आओगे तो क़यामत आ जायेगी
सब्र का बांध टूट जायेगा और गुस्से की बाढ़ आजायेगी

लेकिन कसूर तुम्हारा नहीं इस ज़माने का है
लगे हज़ार पहरे फिर भी जिगरा तुम्हरा जो आने का है

इस्तकबाल तुम्हारा करेंगे गुलदस्ता हाथ में होगा
तामिल रात का सोच, हंसी चेहरे पे, तुम्हारे हाथ में हाथ होगा

रात कैसे गुजरे तुम बताओ कम स कम इश्क का आगाज होगा
भूल जायेंगे ज़माने वाले, मजनू, फरहाद महिवाल को, कल हमारा होगा

Tuesday, July 8, 2008

समय की पुकार

समय की पुकार आज की दरकार
जाग दोस्त सुन भारत माता की पुकार


जो दंगा करते हैं
जो नर संहार करते है
जो जातिवाद की नफरत की आग में देश को में झोंकते
राम- रहीम -इसा - गुरु -गाँधी -बाबा की बात करते है

इन आस्तीन के सांपो से
सावधान ख़बरदार होशियार
मेरे देश वासिओं कसलो कमर,
होजाओ त्यार

इन पापिओं को सबक सिखाना होगा
हर हथियार काम में ला इन्हें उडाना होगा


देर बहुत हो जायेगी
मानवता कराहयेगी
जब देश ही ना रहा
तो नींद कहाँ से आएगी
आज की ताजा ख़बर ...............
कश्मीर जल रहा है
काबूल आतंकियों से थर्रा रहा है

गुलाम इस्तीफ़ा दे दिल्ली चल रहा है
मनमोहन टोकियो में बुश से चोंचे लड़ा रहा है
वाम हका बका मुलायम अवसर ताक रहा है
महंगाई का नाग डस रहा किसान जहर खा रहा है
भारतमाँ का मुकट खतरे में है केन्द्र थर्रा रहा है

समय की पुकारआज की दरकार
जाग दोस्त सुन भारत माता की पुकार

हिंद के नौजवान हिंद की पहचान

ऐ हिंद के युवा तू आगे बढ़ लगाम थाम ले
तू हिंद कि पहचान है तू हिंद को पहचान दे

आयें लाखों दिक्कते पर तेरा कदम ना डिगे
शोषण किसीका होता देख तेरा खूं खौल उठे

तू बेफिक्र आगे बढ़ मुश्किलें कितनी ही आयेंगी
मन मे हो उमंग जिसके जीत उसको ही पायेगी

ऐ हिंद के युवा तू आगे बढ़ लगाम थाम ले
तू हिंद कि पहचान है तू हिंद को पहचान दे

देश का प्रहरी तू देश का मान है तू
देश का भविष्य तू देश का अरमान तू

जाग देख तेरे देश को दुश्मन ललकार रहा है
उठ थाम ले हथियार आतंक सीमा लाँघ रहा है

राम कृष्ण गौतम गाँधी की संतान है तू
राम रहीम नानक और जीसस का आशीर्वाद है तू

हिंद के नौजवान कर तू विजय का प्रयाण
समुद्र की गहराई आसमा की ऊँचाई हो तेरा अरमान

Thursday, July 3, 2008

अमरनाथ.....................

बर्फानी बाबा देख तेरी धरा पर कया हो रहा है ।
आज तो तेरे दर्शन का भी टोटा हो रहा है ॥

तेरा नाम लेके सवाली करते हैं तेरे धाम की यात्रा ।
तेरा नाम रटते हमारी पूरी होती है जीवन यात्रा ॥

काश्मीर का भविष्य है तेरी यात्रा ।
लाखों जिन्दगी का पालन करती है ये यात्रा ॥

सदिओं से आते हैं सवाली तेरे दर पे मत्था टेकने ।
अमरता का वरदान पाने आत्मा शीतल करने ॥

गरीबों को झोंक दिया आतंक की आग में ।
यात्रा को भी सवाली बना दिया सियास्तबाज ने ॥

अरबों रुपया पाते है काश्मीरी तेरे नाम पे ।
फिर भी दिखाते हैं दादागिरी धर्म के नाम पे ॥


भोले बाबा , क्या तू भी विदेशी होने जा रहा है ?
या तेरा कहर इन पर टूटने जा रहा है ॥

पुकारते हैं हम सिरफिरों को बुद्धि प्रदान कर
अपने भक्तों का मार्ग खोल, दर्शन दे, मुरादे पूरी कर ॥

काश्मीर की आग पुरे देश में फैलने जा रही है ।
'गुलाम'सरकार बचे या ना बचे जनता पिसने जा रही है ॥

जागो देश वासियो इस षड्यंत्र को
पहिचानो ।
३७० अभिशाप असर ला रहा है देखो और जानो ॥

बालटाल के ४० हेक्टर ने आज सवाल उठाया है ।
सैकडो हजघर और हाजी सेवा खर्च पर आज फिर ध्यान आया है ॥

भारतवासियों ........सोचो जानो पहिचानो............
विदेशी षड्यंत्र से सावधान हो, मेरी राय मानो

मुफ्ती फारुख और पाकिस्तानी हुकुमरानों ।
काश्मीरी हो, देश के सिरमौर बर्फानी के कहर को मानो ॥

मत जलाओ काश्मीर को तुम भी नहीं बच पाओगे ।
भूल गए कबायली हमला, जो तुम कुछ,पाकिस्तान जा के, पाओगे

बर्फानी बाबा उठ जाग तेरा देश जल रहा है ।
खोल समाधि देख, सवाली, तेरे दर पे आने से डर रहा है ॥

देशवासिओं, सुनो बाबा की हुँकार ।
कमर कसो, आतंकियों से मुकाबिले को, हो जाओ तयार ॥

गुलाम- मुफ्ती -फारुख- की चलने देंगे नही ।
बर्फानी की इज्ज़त कम होने देंगे नही ॥

यात्रा करेंगे भोले को याद करते जायेंगे ।
इंट का जवाब पत्थर से देंगे शहीद हो जायेंगे ॥