Wednesday, July 13, 2022
यादें प्रियतमा की
यादें एक साल बीता सावन पलट आया फिर भी मन रीता।। रहने को सदा इस दुनिया में आता
नहीं कोई पर तुम जैसे गई, ऐसे भी जाता नहीं कोई।। डरता हूँ, कहीं सूख ना जाए, आंखों
का समन्दर जानेमन, राख अपनी कभी बहाता नहीं कोई।। ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी तुम्हे
लेजाने में मौत को सीने से लगाता नहीं दुश्मन भी कोई।। माना कि, हमारे उजाले, तुमसे
रोशन होते थे फिर भी रात में हमने, दिया बुझाया, नहीं कभी।। जमाने से गिला था
तुम्हें, या मुझ से शिकवा अब तो कुछ भी याद आता नही।। तुम्हारी तस्वीर मेरा अंबल
निहारते रोज उसे, तुम्हे भुला पाता नही।।h
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